महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल: आज की प्रमुख घटनाएं!



महाराष्ट्र की राजनीति में आज कई अहम घटनाक्रम सामने आए, जिससे राज्य की राजनीतिक दिशा एक बार फिर चर्चा में आ गई है। सत्तारूढ़ गठबंधन से लेकर विपक्ष तक, हर पक्ष ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

विधानसभा में हंगामा और निलंबन

आज महाराष्ट्र विधानसभा में काफी हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस नेता नाना पटोले को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुंचाने और बार-बार सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में की गई। इस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सत्तारूढ़ पक्ष पर लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।

हिंदी अनिवार्यता पर सरकार की वापसी

फडणवीस सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर भारी विरोध हुआ। मराठी संगठनों, विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे महाराष्ट्र की भाषाई अस्मिता पर हमला बताया। जनता के दबाव और विरोध प्रदर्शनों के चलते सरकार को यह प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। यह विपक्ष की एक बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है।

किसान आंदोलन: शक्तिपीठ हाईवे के खिलाफ चक्का जाम

राज्य के 12 जिलों में प्रस्तावित “शक्तिपीठ हाईवे” परियोजना के खिलाफ किसानों ने चक्का जाम का ऐलान किया। उनका कहना है कि इस योजना से हजारों किसानों की जमीन छीनी जा रही है और उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिल रहा। आज ‘कृषक दिवस’ के मौके पर किसानों ने सरकार को चेताया कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

कांग्रेस को झटका, कुणाल पाटिल भाजपा में शामिल

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की आहट आज उस समय मिली जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुणाल पाटिल ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। पाटिल को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। उन्होंने बताया कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी और अब वे विकास की राजनीति करना चाहते हैं। यह कदम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है।

विधानसभा सत्र की तैयारी

महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र कल से शुरू होने जा रहा है। सरकार और विपक्ष दोनों इस सत्र को लेकर रणनीति बना रहे हैं। जनहित मुद्दे, किसानों की मांगें और शिक्षा से जुड़े विषय चर्चा के केंद्र में रहेंगे।




निष्कर्ष

आज की घटनाओं से साफ है कि महाराष्ट्र की राजनीति एक संवेदनशील मोड़ पर है। एक तरफ सरकार को नीतिगत फैसलों पर बैकफुट पर जाना पड़ रहा है, वहीं विपक्ष अपने मुद्दों को मजबूती से उठा रहा है। आने वाले दिन इस राजनीतिक संघर्ष को और अधिक तीव्र बना सकते हैं।