पटना में भाजपा नेता गोपाल खेमका की हत्या, विशेष जांच दल गठित!

पटना में भाजपा नेता गोपाल खेमका की हत्या, विशेष जांच दल गठित!


पटना, 5 जुलाई 2025 – बिहार की राजधानी पटना में एक वरिष्ठ भाजपा नेता और व्यवसायी श्री गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना 4 जुलाई की रात गांधी मैदान क्षेत्र स्थित उनके निवास के पास घटी, जिससे पूरे शहर में हड़कंप मच गया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, श्री खेमका अपनी कार से उतरकर अपार्टमेंट परिसर में प्रवेश कर रहे थे, तभी बाइक पर सवार एक अज्ञात हमलावर ने नजदीक से गोली चला दी। गोली लगने के बाद खेमका की मौके पर ही मृत्यु हो गई। घटनास्थल से एक खाली खोखा बरामद किया गया है और पास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की जा रही है।

राज्य सरकार की कार्रवाई
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस जघन्य अपराध की निंदा करते हुए तत्काल एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन की घोषणा की है। इस टीम में पटना सेंट्रल क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक (SP) के नेतृत्व में राज्य की विशेष टास्क फोर्स (STF) और फोरेंसिक विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। जांच में तेजी लाने हेतु गृह विभाग ने 48 घंटे के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

परिवार का आरोप और पुरानी पीड़ा
श्री खेमका के परिजनों ने पुलिस पर देरी से पहुंचने का आरोप लगाया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि घटना स्थल थाना क्षेत्र के अंतर्गत होने के बावजूद पुलिस को आने में दो से तीन घंटे का समय लगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में श्री खेमका के पुत्र गुनजन खेमका की भी इसी प्रकार अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दोनों हत्याओं में समानता ने मामले को और गंभीर बना दिया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटना को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव और जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव ने इसे ‘जंगलराज की वापसी’ बताया है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया
व्यापारिक संगठनों, नागरिक समूहों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है। इस हत्याकांड ने व्यापारी वर्ग में असुरक्षा की भावना को गहरा कर दिया है।

निष्कर्ष
गोपाल खेमका की हत्या ने न केवल एक राजनीतिक शून्य उत्पन्न किया है बल्कि बिहार में बढ़ते अपराधों पर गंभीर प्रश्न भी खड़े किए हैं। राज्य प्रशासन की यह अग्निपरीक्षा होगी कि वह कितनी तेजी से और निष्पक्षता से इस मामले की जांच कर न्याय सुनिश्चित कर पाता है।


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