भारत ने लॉन्च की स्वदेशी ATAGS तोप, कुछ ही सेकंड में पाकिस्तान तक कर सकती है हमला!

भारत ने लॉन्च की स्वदेशी ATAGS तोप, कुछ ही सेकंड में पाकिस्तान तक कर सकती है हमला!


आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने अपनी अत्याधुनिक स्वदेशी तोप प्रणाली एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का सफलतापूर्वक अनावरण किया है। यह शक्तिशाली तोप प्रणाली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है, जिसमें भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसी प्रमुख निजी कंपनियों का भी अहम योगदान रहा है।

कुछ ही सेकंड में दुश्मन पर सटीक वार


ATAGS की सबसे बड़ी खासियत इसकी दूर तक मार करने की क्षमता है। यह तोप पाकिस्तान की सीमा के अंदर तक स्थित लक्ष्यों को कुछ ही सेकंड में सटीकता से निशाना बना सकती है। इसका अधिकतम मारक दायरा लगभग 48 किलोमीटर है, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली टोएड आर्टिलरी गन में शामिल करता है।

उन्नत तकनीक से लैस


ATAGS में कई अत्याधुनिक तकनीकी खूबियाँ शामिल हैं:

155 मिमी, 52-कैलिबर बैरल

स्वचालित गोला-बारूद हैंडलिंग सिस्टम

इलेक्ट्रो-मेकैनिकल नियंत्रण प्रणाली जो सटीकता बढ़ाती है।

सभी प्रकार की जमीन पर चलने की क्षमता


यह तोप 60 सेकंड में 5 गोले दाग सकती है और इसकी सतत फायरिंग क्षमता 60 राउंड प्रति घंटा है, जो इसे एक असाधारण युद्धक प्रणाली बनाती है।

पूरी तरह स्वदेशी निर्माण


ATAGS भारत की रक्षा निर्माण क्षमता का बेहतरीन उदाहरण है। यह प्रणाली लगभग 80% तक स्वदेशी रूप से विकसित की गई है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को मजबूती देती है।

इस तोप का परीक्षण भारत के विभिन्न मौसमों और भौगोलिक परिस्थितियों में किया गया, जैसे ऊँचाई वाले क्षेत्रों और रेगिस्तानी इलाकों में। हर बार यह प्रणाली उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन करने में सफल रही।

सामरिक दृष्टिकोण से अहम


ATAGS के सेना में शामिल होने से भारत की तोपखाना रेजीमेंट की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा, खासकर पाकिस्तान के साथ लगती पश्चिमी सीमा पर। इसकी लंबी रेंज, तेज तैनाती और सटीक निशाना लगाने की क्षमता इसे सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए बेहद उपयुक्त बनाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह तोप प्रणाली भारत की प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगी और दुश्मनों के लिए एक सख्त संदेश होगी।

आगे की योजनाएं


रक्षा मंत्रालय द्वारा इस प्रणाली की पहली खेप के लिए ऑर्डर दिया जा चुका है। आने वाले वर्षों में 300 से अधिक ATAGS तोपों को भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा, जिससे पुरानी बोफोर्स और अन्य आयातित तोपों को धीरे-धीरे बदला जाएगा।

भारत भविष्य में इस उन्नत प्रणाली का अन्य मित्र देशों को निर्यात करने की भी योजना बना रहा है, जिससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को बल मिलेगा।


निष्कर्ष:


ATAGS का सफल अनावरण भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि भारत को वैश्विक सैन्य तकनीक में एक नई पहचान भी दिलाता है। यह कदम आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की ओर एक बड़ा और गर्वपूर्ण प्रयास है।

डीआरडीओ ने पेश किया स्वदेशी माउंटेड गन सिस्टम, सेना की ताकत में होगा जबरदस्त इजाफा!

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार को पुणे में अपनी नई उपलब्धि, स्वदेशी माउंटेड गन सिस्टम (MGS) का सफल प्रदर्शन किया। यह उन्नत ट्रक-माउंटेड तोप प्रणाली न केवल उच्च मारक क्षमता रखती है, बल्कि आधुनिक युद्ध के परिदृश्य में सेना को तेज और सुरक्षित जवाबी हमला करने में भी सक्षम बनाएगी।

यह स्वदेशी तोपखाना प्रणाली DRDO के नेतृत्व में देश की रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs), अग्रणी निजी कंपनियों और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से विकसित की गई है। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसे उद्योग इस परियोजना के प्रमुख भागीदार हैं।

आधुनिक तकनीक और युद्धक्षमता


एमजीएस को विशेष रूप से रेगिस्तानी इलाकों और दुर्गम पहाड़ों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह प्रणाली 155 मिमी/52 कैलिबर की तोप से लैस है, जो प्रति मिनट छह राउंड तक फायर कर सकती है। इसका निर्माण उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) से प्रेरित है। इसमें ऑटोमैटिक गन अलाइनमेंट, इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम और 24 प्रोजेक्टाइल की ऑटोमैटिक एम्युनिशन मैनेजमेंट शामिल है।

एमजीएस को BEML द्वारा निर्मित टाट्रा 8×8 वाहन पर लगाया गया है, जो 80 किमी/घंटा तक की रफ्तार से सड़क पर और 40 किमी/घंटा तक उबड़-खाबड़ रास्तों पर चल सकता है। सात सदस्यीय चालक दल को बख्तरबंद केबिन में पूर्ण सुरक्षा मिलती है।

सटीकता और तेज तैनाती


यह माउंटेड गन सिस्टम 45 किमी तक की दूरी तक सटीकता से लक्ष्य भेद सकता है और महज 85 सेकंड में स्थान बदल सकता है, जिससे यह दुश्मन के पलटवार से बच सकता है। पोकरण और बालासोर में इसके 100 से अधिक फायरिंग परीक्षण सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं।

लागत में भी प्रभावी


‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत तैयार यह प्रणाली विदेशी विकल्पों की तुलना में काफी सस्ती है। जहां आयातित विकल्पों की कीमत करीब ₹40 करोड़ होती है, वहीं एमजीएस की अनुमानित लागत मात्र ₹15 करोड़ है। भारतीय सेना 700 से 800 यूनिट शामिल करने की योजना बना रही है, जिसमें भारत फोर्ज प्रमुख निर्माण साझेदार होगा।

वैश्विक मानकों की बराबरी


एमजीएस, फ्रांस की सीज़र और इज़राइल की एटीएमओएस जैसी वैश्विक तोप प्रणालियों के समकक्ष है। अहमदनगर के वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (VRDE) में इसका सफल प्रदर्शन आधुनिक युद्ध में भारत की आत्मनिर्भरता को नया आयाम देगा।