Anil Ambani की कारोबारी वापसी: रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर फिर से निवेशकों की पसंद बन रहे हैं!

Anil Ambani की कारोबारी वापसी: रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर फिर से निवेशकों की पसंद बन रहे हैं!


मुंबई – भारत के कॉर्पोरेट जगत में Anil Ambani की वापसी की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। एक समय देश के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल रहे अंबानी की कारोबारी साम्राज्य को भारी कर्ज और लगातार डिफॉल्ट्स के कारण जबरदस्त झटका लगा था। लेकिन अब, उनकी दो प्रमुख कंपनियाँ – रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर – फिर से बाजार में रफ्तार पकड़ती नजर आ रही हैं।

अंधकार से उजाले की ओर


Anil Ambani का नाम एक दौर में विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल था। लेकिन समय के साथ उनके व्यापारिक साम्राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया और परियोजनाओं में देरी, नियामकीय बाधाओं और रणनीतिक भूलों के चलते निवेशकों का भरोसा टूट गया।

विशेष रूप से 2020 के बाद, रिलायंस एडीए (अनिल धीरूभाई अंबानी) समूह संकट में घिरा नजर आया। शेयर की कीमतें गिर गईं, कर्जदाता दूर हो गए और बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई। मगर हाल के महीनों में कुछ सकारात्मक संकेत दिखने लगे हैं।

रिलायंस पावर में सुधार के संकेत


रिलायंस पावर ने अपने कामकाज में बड़े पैमाने पर सुधार किया है। कंपनी ने अपने गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों को बेचने, कर्ज चुकाने और परिचालन लागत को नियंत्रित करने जैसे कदम उठाए हैं। इसके चलते कंपनी की वित्तीय स्थिति में थोड़ी स्थिरता आई है।

इन सुधारों का असर निवेशकों के व्यवहार पर भी दिखने लगा है। लंबे समय से उपेक्षित रहे रिलायंस पावर के शेयर अब धीरे-धीरे निवेशकों को आकर्षित करने लगे हैं।

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की नई दिशा


रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (RInfra) भी खुद को दोबारा स्थापित करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। कंपनी ने अपने रोड और मेट्रो प्रोजेक्ट्स में रणनीतिक निवेश करते हुए नकदी प्रवाह को बेहतर करने के उपाय किए हैं।

कंपनी पुराने कानूनी मामलों को निपटाने, परियोजनाओं के समय पर निष्पादन और साझेदारी के नए अवसरों पर काम कर रही है, जिससे उसकी साख में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

निवेशकों की नजरें फिर से अंबानी पर


रिलायंस समूह की इस वापसी के पीछे न केवल कंपनी के आंतरिक सुधार हैं, बल्कि भारत की तेजी से बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी सेक्टर की भूमिका भी अहम रही है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और निवेश बढ़ाने की नीति से इन कंपनियों को एक बार फिर मौका मिल रहा है।

हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह वापसी अभी भी नाजुक है। एक गलत कदम पूरी रणनीति को फिर से बिगाड़ सकता है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, “यह फीनिक्स जैसी वापसी है, पर अब भी सतर्क रहने की जरूरत है।”

आगे की राह


Anil Ambani पिछले कुछ वर्षों से सार्वजनिक रूप से बेहद शांत रहे हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में कंपनियों ने आंतरिक पुनर्गठन और फोकस्ड रणनीति के जरिए एक नया रास्ता चुना है। अगर यह यात्रा इसी दिशा में जारी रही, तो यह भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे चर्चित वापसी बन सकती है।

लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कंपनियाँ वित्तीय अनुशासन बनाए रखें, जोखिमपूर्ण विस्तार से बचें और नियामकीय ढांचे के साथ तालमेल बनाए रखें।

निष्कर्ष


Anil Ambani की कंपनियाँ आज भले ही अपने पूर्व गौरव से दूर हों, लेकिन उनकी हालिया कोशिशें यह दिखाती हैं कि सूझ-बूझ, अनुशासन और रणनीतिक बदलाव से फिर से विश्वास जीता जा सकता है। रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की यह वापसी बताती है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो अंधेरे से भी रोशनी की ओर रास्ता निकलता है।