
गोरखपुर के महिला पुलिस रिक्रूट्स प्रशिक्षण केंद्र से बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी की चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। जहां एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़े-बड़े वादे करती है, वहीं ज़मीनी सच्चाई इससे कोसों दूर दिखाई दे रही है।
प्रशिक्षण केंद्र की स्थिति इतनी खराब है कि महिला रिक्रूट्स को न तो नियमित बिजली मिल रही है, न साफ पानी, और न ही स्वच्छ शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जहां एक ओर प्रशासन और विभाग की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग ने इस समस्या को निराधार ठहराया है। उनका कहना है कि तकनीकी रुकावट के चलते ये समस्या उत्पन्न हुई जिसको त्वरित संज्ञान में लिया गया और उसका समाधान किया गया।
झुलसाती गर्मी में बिना बिजली के हाल बेहाल
उत्तर भारत की तेज गर्मी में जहां आम लोग बिना पंखे या कूलर के रहना भी मुश्किल समझते हैं, वहीं इस ट्रेनिंग सेंटर में बिजली की भारी किल्लत है। लंबे समय तक बिजली गायब रहने से रिक्रूट्स को पसीने और गर्मी में दिन काटने पड़ रहे हैं।
पानी की भारी समस्या, पीने तक को नहीं साफ जल
प्रशिक्षण केंद्र में जल आपूर्ति की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। कई बार टैंकर मंगवाने की नौबत आती है, लेकिन तब भी हर रिक्रूट को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। कई रिक्रूट्स को अस्वच्छ पानी पीने के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
शौचालयों की हालत बद से बदतर
शौचालय की व्यवस्था इस कदर बदहाल है कि उनका इस्तेमाल करना भी किसी मजबूरी से कम नहीं। न नियमित सफाई होती है, न ही पर्याप्त संख्या में शौचालय मौजूद हैं। ऐसे में महिला रिक्रूट्स की गरिमा और स्वास्थ्य दोनों दांव पर लगे हैं।
जब मुख्य शहर की हालत ऐसी है, तो बाकी स्थानों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं
गोरखपुर जैसा बड़ा और प्रमुख शहर अगर महिला प्रशिक्षण केंद्रों की ऐसी स्थिति झेल रहा है, तो प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है, इसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।
तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत
पुलिस विभाग और प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है। महिला रिक्रूट्स देश की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की रीढ़ बनेंगी, ऐसे में उन्हें सम्मानजनक और सुरक्षित प्रशिक्षण माहौल देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अगर अब भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो यह ना सिर्फ महिला सशक्तिकरण की सोच को ठेस पहुंचाएगा, बल्कि भविष्य की पुलिस व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करेगा।
निष्कर्ष:
गोरखपुर के महिला पुलिस प्रशिक्षण केंद्र की बदइंतज़ामी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। यह केवल एक ट्रेनिंग सेंटर की बात नहीं, बल्कि महिलाओं के प्रति हमारी सोच और जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। यदि हम सच में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो शुरुआत उनके प्रशिक्षण की गरिमा से करनी होगी।
खबर सोर्स:– X platform
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