दक्षिण कन्नड़ का रहस्य: धर्मस्थल में नरकंकाल की थैली के साथ लौटा पूर्व सफाईकर्मी, खोले 20 साल पुराने दर्दनाक राज़!

दक्षिण कन्नड़ का रहस्य: धर्मस्थल में नरकंकाल की थैली के साथ लौटा पूर्व सफाईकर्मी, खोले 20 साल पुराने दर्दनाक राज़!


कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के धर्मस्थल में एक पूर्व सफाईकर्मी ने रेप और मर्डर पीड़ितों के शवों को जलाने व दफनाने का चौंकाने वाला खुलासा किया। 1995 से 2014 के बीच दबे थे ये खौफनाक राज़।

धर्मस्थल की शांति के पीछे छिपा भयानक अतीत


कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के धर्मस्थल में बीते दिनों जो खुलासा हुआ, उसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। एक बुजुर्ग पूर्व सफाईकर्मी ने अपने पास मौजूद नरकंकाल की थैली के साथ सामने आकर एक ऐसा सच बताया, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप उठे।

वह व्यक्ति नेत्रावती नदी के किनारों की सफाई करता था। उसके अनुसार, उसे वर्षों पहले कई महिलाओं और स्कूली लड़कियों की लाशों को ठिकाने लगाने के लिए मजबूर किया गया था—ये महिलाएं यौन उत्पीड़न और हत्या की शिकार थीं। अब वर्षों की आत्मग्लानि के बाद, वह व्यक्ति न्याय और सच्चाई की तलाश में लौटा है।

अपराधों का साक्षी बना सफाईकर्मी


उस व्यक्ति का दावा है कि 1995 से लेकर 2014 तक, उसे बार-बार ऐसे शवों को जलाने और दफनाने के लिए कहा गया, जिनकी हत्या और यौन उत्पीड़न किया गया था। उसका कहना है कि वह इस काम को जबरदस्ती और धमकियों के डर से करता रहा। उसने बताया कि इन घटनाओं के पीछे कुछ प्रभावशाली लोग और अधिकारी थे, जिनके डर से वह अब तक चुप रहा।

11 साल की चुप्पी और डर की ज़िंदगी


2014 के बाद से वह आदमी फरार रहा। उत्तर भारत, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अपना नाम और पहचान बदलकर रहा। हर दिन उसे डर था कि अगर उसने जुबान खोली तो उसकी जान भी ले ली जाएगी। लेकिन बीते कुछ सालों में, अपनी आत्मा पर पड़े अपराधों के बोझ ने उसे अंदर से तोड़ दिया।

अब वह खुद को हल्का करना चाहता है—और न्याय की उम्मीद में, सामने आकर सच बताने का निर्णय लिया है।

नेत्रावती नदी की चुप्पी टूटी


वह बताता है कि इन शवों को या तो नेत्रावती नदी के किनारे जलाया जाता था या फिर गुपचुप तरीके से दफनाया जाता था। यह नदी, जो हमेशा श्रद्धा और पवित्रता की प्रतीक मानी जाती है, अब इन डरावने खुलासों के चलते एक रहस्य बन गई है।

जांच की उठी मांग, खुदाई की संभावना


इस सनसनीखेज बयान के बाद, मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि मामले की स्वतंत्र जांच हो और नेत्रावती नदी के किनारों की खुदाई की जाए। वे चाहते हैं कि 1995 से 2014 के बीच गुमशुदा महिलाओं और लड़कियों की रिपोर्ट्स दोबारा खंगाली जाएं।

स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई शुरू


पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उस व्यक्ति से विस्तृत पूछताछ की जा रही है। यदि जांच में उसके बयान सही पाए जाते हैं, तो यह मामला कर्नाटक के इतिहास में सबसे बड़े आपराधिक खुलासों में शामिल हो सकता है।

सवाल व्यवस्था पर


यह मामला केवल अपराध का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल उठाता है। क्या इतने वर्षों तक इतने गंभीर अपराध होते रहे और किसी ने आवाज नहीं उठाई? क्या वाकई समाज और व्यवस्था ने इन पीड़ितों को अकेला छोड़ दिया?

निष्कर्ष:

अब चुप रहना मुमकिन नहीं! पूर्व सफाईकर्मी ने अपनी गलती स्वीकार की है और अब वह पश्चाताप के साथ सच्चाई को सामने लाने में जुटा है। अब बारी हमारी है—कि हम इस मामले को केवल सनसनीखेज खबर बनाकर न छोड़ें, बल्कि सच की तह तक जाकर उन मासूमों को न्याय दिलाएं जिनकी आवाज कभी नहीं सुनी गई।