
Uttarkashi में मंगलवार को भीषण बादल फटने की घटना से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। लापता लोगों में भारतीय सेना के 8 से 10 जवान भी शामिल हैं। जानिए पूरी घटना की डिटेल्स।
उत्तराखंड के Uttarkashi जिले में मंगलवार देर रात आई प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी। भीषण बादल फटने की घटना के चलते अचानक आई बाढ़ और बड़े भूस्खलन में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। लापता लोगों में 8 से 10 भारतीय सेना के जवान भी शामिल हैं, जो हरसिल घाटी के निचले क्षेत्र में स्थित एक अस्थायी शिविर में तैनात थे।
हरसिल कैंप से सेना के जवान लापता
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, हरसिल इलाके में भारतीय सेना का एक कैंप बादल फटने की चपेट में आ गया। इस शिविर से कई जवानों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। सेना के अधिकारी लगातार संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारी बारिश और मलबे की वजह से संपर्क मार्ग और संचार व्यवस्था बाधित है।
सेना और राज्य प्रशासन की संयुक्त टीम लापता जवानों की खोज में जुटी हुई है, लेकिन खराब मौसम और जोखिम भरा भूगोल बचाव कार्य में बाधा बन रहे हैं।
हरसिल और आस-पास के क्षेत्रों में भारी तबाही
हरसिल घाटी, गंगोत्री हाईवे, सुखी टॉप और मुखबा गांव इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कई घर मलबे में दब गए हैं और सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। पुल टूट गए हैं और रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे राहत पहुंचाना बेहद कठिन हो गया है।
स्थानीय निवासी रमेश भट्ट ने घटना का आंखों देखा हाल साझा करते हुए कहा, “अचानक जोरदार आवाज आई और फिर पानी का सैलाब पहाड़ों से नीचे आया। हम कुछ समझ पाते, उससे पहले ही सबकुछ बह गया।”
राहत और बचाव कार्य जोरों पर
राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और सेना की इंजीनियरिंग टीमों को मौके पर भेजा गया है। हालांकि, लगातार बारिश, भूस्खलन और कठिन पहाड़ी रास्तों के चलते राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।
वायुसेना के हेलिकॉप्टर भी राहत और बचाव कार्यों के लिए तैनात हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण हवाई अभियान अभी आंशिक रूप से रोक दिए गए हैं। मौसम सुधरने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज करने की योजना है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि “प्रभावित क्षेत्रों तक हर हाल में पहुंचें, चाहे पैदल ही क्यों न जाना पड़े। लोगों की जान बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Uttarkashi की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और राज्य सरकार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “Uttarkashi में आई आपदा से दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। केंद्र सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राहत कार्यों में पूरा सहयोग दे रही है।”
रक्षा मंत्रालय भी स्थानीय प्रशासन और सेना के साथ लगातार संपर्क में है और विशेष पर्वतीय टुकड़ियों की तैनाती की संभावना पर विचार कर रहा है, जो कठिन इलाकों में आसानी से पहुंच सकती हैं।
उत्तराखंड में बादल फटना – एक बार फिर तबाही की वजह
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बादल फटना और उससे जुड़ी बाढ़ की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। मानसून के मौसम में अचानक अत्यधिक वर्षा, कमजोर पर्वतीय संरचना और बेतरतीब निर्माण कार्य इन आपदाओं की जड़ माने जा रहे हैं।
वातावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और हिमालयी क्षेत्र में अनियंत्रित विकास कार्यों ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ा है। पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने कहा, “जब तक हम पर्यावरण के अनुकूल निर्माण नीति नहीं अपनाएंगे, ऐसी आपदाएं लगातार आती रहेंगी।”
सरकार द्वारा जारी आपातकालीन हेल्पलाइन और सहायता उपाय
उत्तराखंड सरकार ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि लापता लोगों के परिजन जानकारी प्राप्त कर सकें। राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं, जहां पीड़ितों को भोजन, दवाइयां और जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
राज्य सरकार ने नदी किनारे और ढलानों के पास रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित होने की अपील की है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है।
अगले कदम और उम्मीद की किरण
रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल जारी है और प्राथमिकता लापता लोगों को खोजने और जीवित बचे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की है। आने वाले दिनों में नुकसान का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और मृतकों व पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की जाएगी।
यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि हिमालय क्षेत्र की संवेदनशीलता को समझना और उसका सम्मान करना बेहद जरूरी है। पूरे देश की निगाहें Uttarkashi की इस आपदा पर टिकी हैं, और हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं कि लापता लोग जल्द ही सुरक्षित मिल जाएं।