विदेश में शर्मसार इंसानियत: 6 साल की भारतीय बच्ची पर हमला, निजी अंगों को बनाया निशाना!

विदेश में शर्मसार इंसानियत: 6 साल की भारतीय बच्ची पर हमला, निजी अंगों को बनाया निशाना!

आयरलैंड के वाटरफोर्ड में 6 साल की भारतीय बच्ची पर कुछ लड़कों ने बर्बर हमला किया। हमले के दौरान उन्होंने “इंडिया वापस जाओ” जैसे नस्लभेदी नारे भी लगाए। घटना के बाद पूरे विश्व में आक्रोश फैल गया है।

आयरलैंड के वाटरफोर्ड शहर में एक 6 साल की भारतीय मूल की बच्ची पर हुए बर्बर हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। यह बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी, जब कुछ लड़कों ने उस पर हमला किया और उसे जातिवादी गालियाँ देते हुए उसके निजी अंगों पर भी वार किया।

हमले के दौरान आरोपियों ने चिल्लाते हुए कहा, “इंडिया वापस जाओ”, जो कि इसे एक स्पष्ट नस्लीय हमले की श्रेणी में लाता है। इस घिनौने कृत्य के बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

घटना की भयावहता


बच्ची के माता-पिता के अनुसार, यह घटना तब हुई जब वह घर के बाहर खेल रही थी। पास ही के कुछ लड़कों ने पहले उसे ताने मारे, फिर उस पर हमला कर दिया। न केवल उसे शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाया गया, बल्कि निजी अंगों पर भी चोट पहुंचाई गई, जिससे यह हमला और भी गंभीर बन जाता है।

परिवार ने तत्काल पुलिस से संपर्क किया, और अब गार्डा (आयरिश पुलिस) इस मामले की जांच कर रही है।

6 साल की भारतीय बच्ची पर शारीरिक और मानसिक आघात


बच्ची को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। चिकित्सकों ने कहा है कि बच्ची को न केवल शारीरिक चोटें आई हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी वह बुरी तरह डरी हुई है।

परिवार का कहना है, “वह अब घर से बाहर निकलने से भी डरती है। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसके साथ ऐसा कुछ होगा।”

परिवार की मांग – न्याय और सख्त कार्रवाई


बच्ची के माता-पिता आयरलैंड में कई वर्षों से रह रहे हैं और उन्होंने इस घटना को अपने जीवन का सबसे भयानक अनुभव बताया। उन्होंने इसे नस्लीय नफरत पर आधारित अपराध बताया और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

“हम यहां एक बेहतर भविष्य के लिए आए थे। लेकिन हमारी बेटी के साथ जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं है,” – पिता ने कहा।

समुदाय और दूतावास की प्रतिक्रिया


इस हमले के बाद भारतीय समुदाय में जबरदस्त आक्रोश है। भारतीय दूतावास ने मामले की जानकारी ली है और वे संबंधित अधिकारियों के संपर्क में हैं। वहीं सोशल मीडिया पर #JusticeForIndianGirl, #StopRacismInIreland जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

वाटरफोर्ड के कई स्थानीय लोग और संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और पीड़ित परिवार के साथ एकजुटता दिखाई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे हेट क्राइम करार दिया है और जांच में पारदर्शिता की मांग की है।

पुलिस जांच शुरू – सीसीटीवी फुटेज खंगालने का काम जारी


गार्डा (आयरिश पुलिस) ने पुष्टि की है कि उन्होंने एक नाबालिग पर हुए हमले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने कहा है कि वे नस्लीय नफरत और यौन हमले दोनों के पहलुओं से मामले की जांच कर रहे हैं।

सीसीटीवी फुटेज की मदद ली जा रही है और पुलिस ने आम जनता से किसी भी प्रकार की सूचना देने की अपील की है।

आयरलैंड में बढ़ती नस्लभेद की घटनाएं – एक चिंता का विषय


यह घटना उस वक्त हुई है जब आयरलैंड में नस्लभेद की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासी बच्चों को स्कूलों और समाज में अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

कई सामाजिक संगठनों का कहना है कि आयरलैंड को अब केवल कानूनों में नहीं, बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर भी बदलाव लाना होगा, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

नीतिगत सुधारों की मांग


इस हमले के बाद कई संगठनों और नेताओं ने सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की है:

बच्चों से जुड़े नस्लीय अपराधों पर कड़े कानूनों की जरूरत

स्कूलों में अनिवार्य एंटी-रेसिज्म एजुकेशन

प्रवासी परिवारों के लिए सुरक्षा तंत्र मजबूत करना

दोषियों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई


मानवाधिकार संगठन का कहना है, “नफरत की शिक्षा घर से और समाज से शुरू होती है। अगर हम इसे नहीं रोकेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसकी शिकार होती रहेंगी।”

निष्कर्ष: यह सिर्फ एक बच्ची की कहानी नहीं, पूरी व्यवस्था पर सवाल है


वाटरफोर्ड की यह घटना किसी एक परिवार या समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। यह घटना दिखाती है कि अभी भी नस्लभेद और नफरत की जड़ें गहरी हैं, जिन्हें खत्म करना बेहद जरूरी है।

इस छोटी बच्ची ने जो सहा है, वह किसी भी इंसान के लिए अस्वीकार्य है – और अगर आज न्याय नहीं मिला, तो कल यह किसी और के साथ भी हो सकता है।

Trump tariffs india: ट्रंप के 25% अतिरिक्त टैरिफ की धमकी से भारत की अर्थव्यवस्था और निर्यात पर मंडरा रहा खतरा!

Trump tariffs india: ट्रंप के 25% अतिरिक्त टैरिफ की धमकी से भारत की अर्थव्यवस्था और निर्यात पर मंडरा रहा खतरा!


Trump tariffs india: डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से कच्चे तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी से भारतीय निर्यात और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। जानें विशेषज्ञों की राय और संभावित प्रभाव।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से भारत के तेल व्यापार को लेकर एक बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखता है, तो अमेरिका भारत के निर्यात पर 25% अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगा सकता है। हालांकि ये फिलहाल कोई आधिकारिक नीति नहीं है, लेकिन अगर इस प्रकार की कार्रवाई की जाती है तो भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर गहरा असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है, लेकिन अगर यह वास्तव में लागू होता है, तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

🔍Trump tariffs india: ट्रंप ने क्या कहा?


एक चुनावी रैली के दौरान, ट्रंप ने इशारा किया कि जो देश रूस से तेल खरीदना जारी रखते हैं, उन पर अमेरिका सख्त कार्रवाई करेगा। उन्होंने विशेष रूप से भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर वह रूस से व्यापार करता रहा, तो उसके उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगाया जाएगा।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने टैरिफ को कूटनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने चीन के खिलाफ इसी तरह का रुख अपनाया था, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी।

🔗 भारत-रूस कच्चे तेल व्यापार की पृष्ठभूमि


रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। रूस भारत को डिस्काउंटेड दरों पर तेल बेचता है, जिससे भारत को आर्थिक रूप से लाभ हुआ है। भारत ने बार-बार कहा है कि यह व्यापार ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के तहत किया जा रहा है और यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करता।

📉 भारत पर संभावित आर्थिक प्रभाव


अगर ट्रंप का प्रस्तावित टैरिफ लागू हो जाता है, तो इसके कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

1. निर्यात पर असर

भारत अमेरिका को सालाना लगभग $78 अरब मूल्य के उत्पाद निर्यात करता है। इनमें मुख्य रूप से:

वस्त्र और रेडीमेड गारमेंट्स

दवाइयाँ और फार्मास्यूटिकल उत्पाद

मशीनरी और इंजीनियरिंग गुड्स

आईटी सेवाएं शामिल हैं।


25% अतिरिक्त शुल्क इन उत्पादों को अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी बना सकता है, जिससे:

निर्यात घट सकता है

रोजगार पर असर पड़ सकता है

विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हो सकता है


2. व्यापार घाटा बढ़ने का खतरा

यदि भारत भी जवाबी कदम उठाता है, तो इससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है।

3. निवेशकों की चिंता

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव से वैश्विक निवेशकों का विश्वास कमजोर हो सकता है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स जैसे क्षेत्रों में।

4. रुपये में गिरावट

निर्यात में गिरावट से डॉलर की आमद घट सकती है, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है। इससे भारत को आयात महंगा पड़ेगा, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम सेक्टर में।

🎯 विशेषज्ञों की राय: “दबाव की रणनीति”


अर्थशास्त्री और कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रंप की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं:

डॉ. अरविंद पनगड़िया (पूर्व नीति आयोग उपाध्यक्ष) का कहना है:
“यह ट्रंप का परिचित तरीका है — पहले दबाव बनाओ, फिर बातचीत करो। भारत को सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की नहीं।”

निशा बिस्वाल (U.S.-India Business Council की प्रमुख) कहती हैं:
“भारत और अमेरिका के रिश्ते इतने गहरे हैं कि ऐसे बयान लंबे समय के सहयोग को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

🇮🇳 Trump tariffs india: भारत की संभावित रणनीति


भारत संभवतः इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने की कोशिश करेगा। संभावित कदम:

अमेरिका को भारत की ऊर्जा जरूरतों के बारे में समझाना

रूस से व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना दिखाना

भारतीय प्रवासी और बिजनेस लॉबी का सहयोग लेना


साथ ही भारत:

वैकल्पिक निर्यात बाजारों जैसे यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण एशिया में अवसर तलाश सकता है

तेल आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाकर रूस पर निर्भरता घटा सकता है

🌐 Trump tariffs india का वैश्विक प्रभाव


अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं और यह नीति लागू करते हैं, तो इसका असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा:

वैश्विक व्यापार तंत्र कमजोर हो सकता है

WTO जैसी संस्थाओं की भूमिका और प्रभाव पर प्रश्न उठ सकते हैं

BRICS जैसे गुटों की भूमिका और मजबूती बढ़ सकती है


भारत को फिर से संतुलन साधना पड़ेगा — पश्चिम और रूस के बीच।

🧠 निष्कर्ष


डोनाल्ड ट्रंप की यह धमकी फिलहाल नीति नहीं बल्कि राजनीति है, लेकिन भारत को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि अमेरिका में नेतृत्व परिवर्तन होता है या नहीं, और इसके साथ भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों की दिशा क्या होगी।

भारत को अपनी रणनीति तैयार रखनी होगी — कूटनीति से लेकर व्यापार में विविधता तक — ताकि वह किसी भी आर्थिक दबाव का सामना मजबूती से कर सके।

सत्य बोलने वाला योद्धा चला गया! पूर्व राज्यपाल Satyapal Malik का निधन, देश में शोक की लहर!

सत्य बोलने वाला योद्धा चला गया! पूर्व राज्यपाल Satyapal Malik का निधन, देश में शोक की लहर!

पूर्व राज्यपाल Satyapal Malik का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के RML अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। पढ़ें पूरी खबर।

भारत के पूर्व राज्यपाल और अनुभवी राजनेता Satyapal Malik का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पिछले कुछ महीनों से इलाजरत थे। आज सुबह उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत हो गया है।

एक साधारण शुरुआत से राष्ट्रीय पहचान तक


Satyapal Malik का जन्म 24 जुलाई 1947 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई। अपने जीवन में उन्होंने कई राजनीतिक दलों से जुड़ाव रखा, लेकिन भाजपा में रहते हुए उन्होंने अपनी मजबूत स्थिति स्थापित की।

कई राज्यों के राज्यपाल रहे



Satyapal Malik का प्रशासनिक अनुभव भी काफी व्यापक रहा। उन्होंने कई महत्वपूर्ण राज्यों में राज्यपाल का पद संभाला, जिनमें प्रमुख हैं:

जम्मू-कश्मीर (2018-2019) – अनुच्छेद 370 हटाए जाने से ठीक पहले का संवेदनशील समय।

गोवा (2019-2020) – भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रुख।

मेघालय (2020-2022) – किसानों के मुद्दों को लेकर केंद्र की नीतियों पर खुलकर सवाल उठाए।

सत्ता में रहते हुए भी सत्ताविरोधी आवाज



राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए भी Satyapal Malik ने कई बार सरकार की नीतियों की आलोचना की, विशेषकर कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के दौरान। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार को किसानों की समस्याओं को संवेदनशीलता से हल करना चाहिए, वरना परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

उनकी स्पष्टवादिता और बेबाकी के कारण वे कई बार चर्चा में रहे। भाजपा से जुड़ाव होने के बावजूद, उन्होंने कभी भी अपनी राय व्यक्त करने से परहेज नहीं किया।

बीमारी और अंतिम यात्रा



मई 2025 में अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आरएमएल अस्पताल, दिल्ली में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी सेहत में सुधार नहीं हो पाया। अंततः, 5 अगस्त को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

राजनेताओं और आमजन की श्रद्धांजलि



उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विपक्षी दलों के नेता, मुख्यमंत्रियों और किसान संगठनों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें “सत्य और सिद्धांतों के लिए समर्पित नेता” बताया, वहीं विपक्षी नेताओं ने उनकी निष्पक्ष सोच की सराहना की।

कई किसान संगठनों ने भी उन्हें याद करते हुए कहा कि वो किसानों की आवाज़ थे, जो हमेशा उनके साथ खड़े रहे।

अंतिम संस्कार और पार्थिव दर्शन



उनका पार्थिव शरीर 6 अगस्त को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पैतृक गांव हिसावदा में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। वहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

Satyapal Malik: एक प्रेरणादायक विरासत



Satyapal Malik एक ऐसे राजनेता थे जो न केवल पद की गरिमा को समझते थे बल्कि जनहित को सर्वोपरि रखते थे। उन्होंने कई बार यह साबित किया कि सच्ची राजनीति का मतलब सत्ता में रहकर भी सत्य बोलना होता है।

उनकी सबसे बड़ी खासियत थी – बेबाकी और ईमानदारी, जो आज की राजनीति में विरल होती जा रही है।

Uttarkashi बादल फटने की त्रासदी: 4 लोगों की मौत, 50 से अधिक लापता, सेना के जवान भी शामिल!

Uttarkashi बादल फटने की त्रासदी: 4 लोगों की मौत, 50 से अधिक लापता, सेना के जवान भी शामिल!

Uttarkashi में मंगलवार को भीषण बादल फटने की घटना से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। लापता लोगों में भारतीय सेना के 8 से 10 जवान भी शामिल हैं। जानिए पूरी घटना की डिटेल्स।

उत्तराखंड के Uttarkashi जिले में मंगलवार देर रात आई प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी। भीषण बादल फटने की घटना के चलते अचानक आई बाढ़ और बड़े भूस्खलन में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। लापता लोगों में 8 से 10 भारतीय सेना के जवान भी शामिल हैं, जो हरसिल घाटी के निचले क्षेत्र में स्थित एक अस्थायी शिविर में तैनात थे।

हरसिल कैंप से सेना के जवान लापता



समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, हरसिल इलाके में भारतीय सेना का एक कैंप बादल फटने की चपेट में आ गया। इस शिविर से कई जवानों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। सेना के अधिकारी लगातार संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारी बारिश और मलबे की वजह से संपर्क मार्ग और संचार व्यवस्था बाधित है।

सेना और राज्य प्रशासन की संयुक्त टीम लापता जवानों की खोज में जुटी हुई है, लेकिन खराब मौसम और जोखिम भरा भूगोल बचाव कार्य में बाधा बन रहे हैं।

हरसिल और आस-पास के क्षेत्रों में भारी तबाही


हरसिल घाटी, गंगोत्री हाईवे, सुखी टॉप और मुखबा गांव इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कई घर मलबे में दब गए हैं और सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। पुल टूट गए हैं और रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे राहत पहुंचाना बेहद कठिन हो गया है।

स्थानीय निवासी रमेश भट्ट ने घटना का आंखों देखा हाल साझा करते हुए कहा, “अचानक जोरदार आवाज आई और फिर पानी का सैलाब पहाड़ों से नीचे आया। हम कुछ समझ पाते, उससे पहले ही सबकुछ बह गया।”

राहत और बचाव कार्य जोरों पर



राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और सेना की इंजीनियरिंग टीमों को मौके पर भेजा गया है। हालांकि, लगातार बारिश, भूस्खलन और कठिन पहाड़ी रास्तों के चलते राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।

वायुसेना के हेलिकॉप्टर भी राहत और बचाव कार्यों के लिए तैनात हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण हवाई अभियान अभी आंशिक रूप से रोक दिए गए हैं। मौसम सुधरने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज करने की योजना है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि “प्रभावित क्षेत्रों तक हर हाल में पहुंचें, चाहे पैदल ही क्यों न जाना पड़े। लोगों की जान बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Uttarkashi की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और राज्य सरकार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “Uttarkashi में आई आपदा से दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। केंद्र सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राहत कार्यों में पूरा सहयोग दे रही है।”

रक्षा मंत्रालय भी स्थानीय प्रशासन और सेना के साथ लगातार संपर्क में है और विशेष पर्वतीय टुकड़ियों की तैनाती की संभावना पर विचार कर रहा है, जो कठिन इलाकों में आसानी से पहुंच सकती हैं।

उत्तराखंड में बादल फटना – एक बार फिर तबाही की वजह


उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बादल फटना और उससे जुड़ी बाढ़ की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। मानसून के मौसम में अचानक अत्यधिक वर्षा, कमजोर पर्वतीय संरचना और बेतरतीब निर्माण कार्य इन आपदाओं की जड़ माने जा रहे हैं।

वातावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और हिमालयी क्षेत्र में अनियंत्रित विकास कार्यों ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ा है। पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने कहा, “जब तक हम पर्यावरण के अनुकूल निर्माण नीति नहीं अपनाएंगे, ऐसी आपदाएं लगातार आती रहेंगी।”

सरकार द्वारा जारी आपातकालीन हेल्पलाइन और सहायता उपाय


उत्तराखंड सरकार ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि लापता लोगों के परिजन जानकारी प्राप्त कर सकें। राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं, जहां पीड़ितों को भोजन, दवाइयां और जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

राज्य सरकार ने नदी किनारे और ढलानों के पास रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित होने की अपील की है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है।

अगले कदम और उम्मीद की किरण



रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल जारी है और प्राथमिकता लापता लोगों को खोजने और जीवित बचे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की है। आने वाले दिनों में नुकसान का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और मृतकों व पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की जाएगी।

यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि हिमालय क्षेत्र की संवेदनशीलता को समझना और उसका सम्मान करना बेहद जरूरी है। पूरे देश की निगाहें Uttarkashi की इस आपदा पर टिकी हैं, और हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं कि लापता लोग जल्द ही सुरक्षित मिल जाएं।


2030 तक 45% भारतीय महिलाएं रहेंगी सिंगल: TOI ‘Love Bytes’ शो में डॉ. रचना खन्ना सिंह ने बताई वजह!

2030 तक 45% भारतीय महिलाएं रहेंगी सिंगल: TOI ‘Love Bytes’ शो में डॉ. रचना खन्ना सिंह ने बताई वजह!

2030 तक 45% भारतीय महिलाएं शादी नहीं करेंगी, यह कहना है TOI के Love Bytes शो में डॉ. रचना खन्ना सिंह का। जानिए इस बदलाव के पीछे की वजहें और इसका समाज पर क्या असर होगा।

TOI Lifestyle के लोकप्रिय शो Love Bytes के तीसरे एपिसोड में जानी-मानी मेंटल वेलनेस एक्सपर्ट और रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. रचना खन्ना सिंह ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया — 2030 तक 45% भारतीय महिलाएं शादी नहीं करेंगी और सिंगल रहना चुनेंगी। यह आंकड़ा सिर्फ एक भविष्यवाणी नहीं, बल्कि भारतीय समाज में रिश्तों, विवाह और पारिवारिक ढांचे में आ रहे गहरे बदलावों की ओर संकेत करता है।

इस विचारोत्तेजक बातचीत में डॉ. सिंह ने बताया कि कैसे आज की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर अपने जीवन के फैसले खुद ले रही हैं और शादी को अब सामाजिक अनिवार्यता नहीं बल्कि व्यक्तिगत विकल्प के रूप में देख रही हैं।

बढ़ती स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता



डॉ. सिंह के अनुसार, इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह है — आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त होती महिलाएं। आज की महिला सिर्फ घर संभालने वाली नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट, प्रशासनिक और उद्यमिता की दुनिया में अपनी पहचान बना रही है।

महिलाएं अब अपने करियर, खुद की पसंद और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता दे रही हैं। खासकर मेट्रो शहरों में रहने वाली महिलाएं अब शादी या रिश्तों को सामाजिक दबाव की बजाय चॉइस मानती हैं।

2030 तक 45% भारतीय महिलाएं रहेंगी सिंगल: क्या है इसके पीछे की वजहें?



डॉ. रचना खन्ना सिंह ने कई प्रमुख कारण बताए जो इस बढ़ते ट्रेंड को दर्शाते हैं:

1. शादी में देरी करना
आजकल महिलाएं जल्दी शादी करने के बजाय पहले अपनी पढ़ाई और करियर को तरजीह देती हैं।


2. करियर को प्राथमिकता देना
प्रोफेशनल लाइफ में व्यस्तता और उच्च लक्ष्य महिलाओं को पारंपरिक पारिवारिक भूमिकाओं से दूर ले जा रहे हैं।


3. सामाजिक सोच में बदलाव
अब सिंगल रहना कमजोरी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।


4. शादी के संस्थान में विश्वास की कमी
तलाक के बढ़ते मामले, असमानता और घरेलू तनाव ने कई महिलाओं को शादी से दूर कर दिया है।


5. तकनीक और सोशल कनेक्टिविटी
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए महिलाएं आज बड़े समुदाय से जुड़ती हैं और अकेले रहना उन्हें मुश्किल नहीं लगता।

रिश्तों का बदलता स्वरूप



डॉ. सिंह का मानना है कि सिंगल रहने का अर्थ यह नहीं कि लोग प्यार में विश्वास नहीं करते। आज के दौर में रिश्तों की परिभाषा बदल रही है।

लिव-इन रिलेशनशिप, लॉन्ग-डिस्टेंस पार्टनरशिप, या स्वतंत्र रूप से जीने का निर्णय अब आम होते जा रहे हैं। युवा महिलाएं आज ऐसे साथी की तलाश में हैं जो समानता और समझदारी को महत्व दे, न कि सिर्फ सामाजिक स्वीकृति के लिए रिश्ते निभाए।

क्या अब शादी पुरानी बात हो चुकी है?



डॉ. सिंह इस बात से इनकार नहीं करतीं कि शादी का महत्व अब भी बना हुआ है, लेकिन इसकी परिभाषा बदल रही है। आज की महिला शादी तभी करेगी जब उसे लगे कि वह बराबरी का रिश्ता निभा रही है।

पारंपरिक पितृसत्तात्मक सोच, जिसमें महिलाएं सिर्फ घर संभालने वाली और आज्ञाकारी मानी जाती थीं, अब धीरे-धीरे कमजोर हो रही है। अब महिलाएं समानता और सम्मान की अपेक्षा करती हैं।

भारतीय परिवारों का बदलता स्वरूप



यदि 2030 तक 45% महिलाएं शादी नहीं करेंगी, तो यह भारतीय परिवार व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाएगा।

डॉ. सिंह के मुताबिक:

सिंगल मदर्स की संख्या बढ़ सकती है

बुजुर्गों की देखभाल के तरीके बदल सकते हैं

दोस्ती और सामुदायिक समर्थन पर आधारित परिवार बनने लगेंगे

अडॉप्शन और IVF जैसी तकनीकों को ज्यादा स्वीकृति मिल सकती है


ये सभी बदलाव इस ओर इशारा करते हैं कि अब परिवार सिर्फ खून के रिश्तों से नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और समझ से भी बनेंगे।

समाज की भूमिका और जरूरी बदलाव



हालांकि बदलाव की हवा चल पड़ी है, लेकिन आज भी सिंगल महिलाओं को सामाजिक पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है। मकान किराए पर लेने से लेकर शादी के लिए दबाव तक, कई चुनौतियां आज भी कायम हैं।

डॉ. सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि नीतिगत बदलाव, सुरक्षा, और मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है, ताकि सिंगल महिलाएं खुद को समाज में सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें।

निष्कर्ष: नए युग की ओर बढ़ता भारत


2030 तक 45% भारतीय महिलाओं का सिंगल रहना एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस बदलाव का प्रतीक है जहां महिलाएं अपने जीवन की कमान खुद संभाल रही हैं।

TOI Love Bytes में डॉ. रचना खन्ना सिंह की बातें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि खुशहाल जीवन के लिए शादी जरूरी नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और भावनात्मक सुरक्षा जरूरी है।

आज की भारतीय महिला अब समाज से नहीं, खुद से अपने फैसले ले रही है — और यही है एक सशक्त भारत की असली पहचान।


मुज़फ्फरनगर में घरेलू विवाद बना हिंसा का कारण: पत्नी ने कथित तौर पर पति पर किया चाकू से हमला!

मुज़फ्फरनगर में घरेलू विवाद बना हिंसा का कारण: पत्नी ने कथित तौर पर पति पर किया चाकू से हमला!


उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में शनिवार शाम को एक घरेलू विवाद उस समय हिंसक रूप ले बैठा जब एक महिला ने अपने पति पर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया। घायल व्यक्ति की पहचान आसिफ के रूप में हुई है, जो गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल में भर्ती है। इस घटना ने आमजन से लेकर पुलिस तक को चौंका दिया है, और इसके पीछे की वजहों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

क्या हुआ था उस शाम?



घायल आसिफ ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी साइरा को किसी अन्य व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखकर चौंक गया था। उसका कहना है कि जैसे ही उसने दोनों को देखा, वह व्यक्ति वहां से भाग निकला और उसकी पत्नी ने उसी समय रसोई से चाकू उठाकर उस पर तीन बार वार किया। घटना के बाद पड़ोसियों ने आसिफ को गंभीर हालत में अस्पताल पहुँचाया।

आसिफ ने मीडिया से कहा, “मैं 1.5 साल से सऊदी अरब में काम कर रहा था और पिछले महीने ही लौटा हूँ। जब मैं घर पहुँचा, तो मैंने अपनी पत्नी को किसी अजनबी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। वह आदमी भाग गया और मेरी पत्नी ने मुझ पर चाकू से हमला कर दिया।”

पुलिस की अलग राय



जहाँ एक ओर आसिफ बेवफाई का आरोप लगा रहे हैं, वहीं पुलिस को इस मामले में कुछ और ही नजर आ रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह घटना पति की नशे की लत और इसको लेकर आये दिन होने वाले झगड़ों के चलते हुई है।

सर्किल ऑफिसर राजू कुमार साव ने बताया, “पति के शराब पीने को लेकर दोनों के बीच लड़ाई हुई थी। इस झगड़े के दौरान महिला ने गुस्से में आकर पति पर चाकू से हमला कर दिया। अभी आरोपी महिला फरार है और जांच जारी है।”

उन्होंने यह भी साफ किया कि अभी तक ऐसे किसी अफेयर के सबूत नहीं मिले हैं जिनका जिक्र आसिफ कर रहे हैं।

वैवाहिक संबंधों में दरार



स्थानीय लोगों और पुलिस के अनुसार, इस दंपति के कोई संतान नहीं है। आसिफ का यह भी आरोप है कि उसकी पत्नी ने गर्भपात की गोलियाँ ली थीं, जिससे उनके बीच रिश्तों में और खटास आ गई थी। यह घटना केवल एक घरेलू विवाद नहीं बल्कि गहरे व्यक्तिगत और सामाजिक तनावों को भी दिखाती है।

दोनों पक्षों की बातों में विरोधाभास है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला केवल शक और बहस का नहीं बल्कि वर्षों से चल रही समस्याओं का परिणाम हो सकता है।

घरेलू विवाद: एक सामाजिक समस्या



भारत में वैवाहिक झगड़े और घरेलू विवाद के मामले सामान्य होते जा रहे हैं। कभी शक के आधार पर, कभी नशे या अवैध संबंधों को लेकर, कई बार यह कहासुनी गंभीर हिंसा में बदल जाती है। इस तरह की घटनाओं से यह समझ आता है कि वैवाहिक रिश्तों में संवाद और समझदारी की कितनी आवश्यकता है।

घरेलू हिंसा के मामलों में अक्सर कानून का झुकाव किसी एक पक्ष की ओर होता देखा गया है — कभी महिलाएं आरोप लगाती हैं कि उन्हें न्याय नहीं मिलता, तो कभी पुरुष शिकायत करते हैं कि उनके साथ भेदभाव होता है।

सोशल मीडिया पर उठी आवाज़ें



इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खासा ध्यान आकर्षित किया है। कई लोग इसे “पारदर्शी कानूनों” की जरूरत का उदाहरण बता रहे हैं, जहाँ सभी पक्षों को बराबर सुना जाए। आसिफ ने भी यही मांग की कि पुरुषों के लिए भी घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी सुरक्षा होनी चाहिए।

वहीं दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि वे निष्पक्ष जांच कर रहे हैं और सभी पहलुओं की गहराई से पड़ताल की जा रही है।

जांच की स्थिति



घटना के एक दिन बाद तक साइरा फरार थी और पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने आसिफ को खून से लथपथ देखा और अस्पताल पहुँचाने में मदद की। पुलिस इस मामले में हर संभावित पहलू की जांच कर रही है जिसमें अफेयर, घरेलू हिंसा और शराब की लत भी शामिल हैं।

मुख्य बिंदु:



**स्थान एवं समय**: शनिवार शाम, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
**घायल व्यक्ति**: आसिफ, हाल ही में सऊदी अरब से लौटा
**आरोपी**: साइरा, पत्नी, घटना के बाद से फरार
**आसिफ का दावा**: विवाहेतर संबंध के कारण हमला
**पुलिस का मत**: पति की शराब की लत के चलते झगड़ा हुआ
**स्थिति**: मामला दर्ज, जांच जारी

निष्कर्ष


मुजफ्फरनगर की यह घटना यह दर्शाती है कि घरेलू विवाद किस हद तक विकराल रूप ले सकते हैं। चाहे कारण विवाहेतर संबंध हों या नशे की बुरी आदतें— परिणाम अक्सर गंभीर होते हैं। ऐसे मामलों में ज़रूरत इस बात की है कि समाज और प्रशासन मिलकर समय रहते ऐसे तनावों की पहचान करें, काउंसलिंग और उचित उपाय उपलब्ध कराएं, और निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करें।



**अनुरोध:** यदि आप या आपके आसपास कोई घरेलू हिंसा से जूझ रहा है, तो नज़दीकी हेल्पलाइन या कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क करें।

25 Heart-Touching Friendship Day Quotes, तुम्हें तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड की याद दिला देंगे!

25 Heart-Touching Friendship Day Quotes, तुम्हें तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड की याद दिला देंगे!


Friendship Day महज़ एक तारीख नहीं होती — यह उस बंधन का जश्न है जो हमें हमारे सबसे क़रीबी दोस्तों से जोड़ता है। वो दोस्त जो हमारे हँसी के पलों में साथ होते हैं और कठिन समय में हमारा सहारा भी बनते हैं।

अगर आज आप अपने सबसे अच्छे दोस्त को मिस कर रहे हैं या उन्हें खास महसूस कराना चाहते हैं, तो ये 25 खूबसूरत उद्धरण उनके लिए परफेक्ट हैं। इन्हें पढ़ते ही आपके दिल में उनकी याद और भी गहरी हो जाएगी।

1. “सच्चा दोस्त वह होता है जो बाकी सबके हटने पर भी तुम्हारे साथ खड़ा रहे।” — वॉल्टर विनचेल


जब दुनिया साथ छोड़ दे, तब जो साथ निभाए — वही असली दोस्त होता है।

2. “दोस्त वे होते हैं जिन्हें आप खुद चुनते हैं।” — जेस सी. स्कॉट


बेस्ट फ्रेंड सिर्फ दोस्त नहीं होते, वे परिवार जैसे होते हैं।

3. “जब कोई बहुत ज़्यादा मायने रखे, तब दूरी कोई मायने नहीं रखती।” — टॉम मैकनील


अगर दिल से कनेक्शन हो, तो मीलों की दूरी कुछ भी नहीं।

4. “बेस्ट फ्रेंड वह है जो आपकी ज़िंदगी को और बेहतर बना देता है।” — अनजान


उनकी हँसी, उनका साथ — आपका हर दिन खास बना देता है।

5. “एक अच्छा दोस्त आपके किस्से जानता है, एक बेस्ट फ्रेंड उन्हें आपके साथ जीता है।” — अनजान


हर याद, हर पागलपन, उसके साथ ही तो शुरू हुआ था।

6. “सच्ची दोस्ती वहीं जन्म लेती है, जब दो लोग एक-दूसरे से कहते हैं – ‘तुम भी? मुझे लगा मैं ही अकेला था।’” — सी.एस. लुईस


वह फीलिंग… जब मन से मन जुड़ जाए।

7. “वो दोस्ती सबसे गहरी होती है, जहाँ चुप्पी भी आरामदायक हो।” — डेविड टायसन


जब बिना शब्दों के भी बातें हो जाती हैं… वही असली दोस्त होता है।

8. “बेस्ट फ्रेंड भले ही दूर हो, लेकिन दिल से कभी दूर नहीं होते।” — अनजान


सिर्फ एक मैसेज… और सब कुछ फिर से जुड़ जाता है।

9. “बचपन के दोस्त कुछ और ही होते हैं। उन्हें कोई नहीं बदल सकता।” — लीज़ा वेल्शेल


जिन्होंने आपको तब जाना जब आप खुद को नहीं जानते थे।

10.“हम अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी कहानी हमेशा साथ रहेगी।” — एली कोंडी


वक़्त और रास्ते बदल सकते हैं, यादें नहीं।

11. “कुछ आत्माएं मिलते ही एक-दूसरे को समझ जाती हैं।” — एन.आर. हार्ट


ऐसा ‘क्लिक’ सिर्फ दिलों से होता है।

12. “एक दोस्त वो होता है जो आपके दिल का गीत पहचानता है और जब आप भूल जाओ, तो उसे गाता है।” — डोना रॉबर्ट्स


वो आपकी ताकत पहचानता है, जब आप खुद को कमजोर समझें।

13. “दोस्ती समय से नहीं, भरोसे और साथ से बनती है।” — अनजान


जो वैसे ही आपके साथ होता है — और रह भी जाता है।

14. “बेस्ट फ्रेंड को खोना मतलब खुद का एक हिस्सा खो देना।” — अनजान


दिल का वो टुकड़ा हमेशा उनकी याद दिलाता है।

15. “हमारे जितना कोई हमें एंटरटेन नहीं कर सकता!” — अनजान


वो पागलपन, वो मस्ती… बस एक बेस्ट फ्रेंड समझे।

16. “मेरी चुप्पी को भी जो समझ सके… वही तो बेस्ट फ्रेंड है।” — अनजान


शब्दों से नहीं, दिल से जुड़ा रिश्ता होता है।

17. “दोस्ती लाखों छोटी-छोटी बातों का नाम है।” — अनजान


छोटे पल, बड़ी यादें — वही तो असली दोस्ती है।

18. “हर सफल महिला के पीछे एक बेस्ट फ्रेंड होता है जो बेवकूफी भरी सलाह और दिल से सपोर्ट देता है।” — अनजान


आपका सबसे बड़ा चीयरलीडर — जो गलती में भी आपके साथ हो।

19. “ज़िंदगी दोस्तों और एडवेंचर्स के लिए बनी है।” — अनजान


आख़िरी मिनट की प्लानिंग, जो कभी ना भूलने वाली बन जाए।

20. “एक छोटा-सा मैसेज भी दिन बना देता है — जब वो बेस्ट फ्रेंड से आए।” — अनजान


शायद उन्हें मैसेज भेजने का यही सही वक्त है?

21. “जिस दिन दोस्त ना हो, वो शहद के बिना बर्तन जैसा होता है।” — विनी द पू


दोस्ती हर चीज़ को थोड़ा मीठा बना देती है।

22. “ज़िंदगी की असली दौलत लोग होते हैं, चीज़ें नहीं।” — अनजान


और सबसे कीमती होता है — एक बेस्ट फ्रेंड।

23. “सच्चे दोस्त भुलाए नहीं जाते, वे हमेशा दिल में रहते हैं।” — अनजान


वक्त गुज़रता है — रिश्ता नहीं।

24. “बेस्ट फ्रेंड — एक टैग नहीं, एक वादा होता है।” — अनजान


ये साथ वक़्त से नहीं, नीयत से चलता है।

25. “धन्यवाद, मेरी मुस्कान को और बड़ा, मेरी हँसी को और ऊँचा और मेरे प्यार को और गहरा करने के लिए।” — अनजान


अगर आपने ये उन्हें नहीं कहा, तो फ्रेंडशिप डे से बेहतर मौका क्या हो सकता है?

अंत में:


ये सभी कोट्स सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये उन जज़्बातों को बयान करते हैं जो आप अपने सबसे अच्छे दोस्त के लिए महसूस करते हैं।

इस फ्रेंडशिप डे, इनमें से एक कोट इस्तेमाल करके अपने किसी पुराने, खास या मिसिंग फ्रेंड को मैसेज करें। कौन जानता, एक लाइन से ही पुराने रिश्ते फिर से ताज़ा हो जाएं!

**हैप्पी फ्रेंडशिप डे!**

📢 PM Kisan सम्मान निधि की 20वीं किस्त जारी: किसानों के खाते में पहुंचे ₹2000, जानिए पूरी डिटेल!

PM Kisan सम्मान निधि की 20वीं किस्त जारी: किसानों के खाते में पहुंचे ₹2000, जानिए पूरी डिटेल!

वाराणसी — देश के करोड़ों किसानों के लिए आज का दिन बड़ी सौगात लेकर आया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत 20वीं किस्त आज किसानों के खातों में भेज दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी से इस किस्त का शुभारंभ किया और खुद बटन दबाकर राशि ट्रांसफर की।

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा,

> “देश का किसान हमारे लिए सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का आधार भी है। इस योजना के माध्यम से हम किसानों को सीधा आर्थिक सहयोग पहुंचा रहे हैं।”

✅PM Kisan योजना का उद्देश्य क्या है?



PM Kisan सम्मान निधि योजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई थी। इसका मकसद छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देना है। हर पात्र किसान को साल में ₹6000 तीन किस्तों में दिए जाते हैं — हर चार महीने में ₹2000 की किस्त सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।

📅 20वीं किस्त का विवरण:



तारीख: 2 अगस्त 2025

राशि: ₹2000 प्रति किसान

लाभार्थी किसान: करीब 8.5 करोड़ से ज्यादा

कुल वितरित राशि: लगभग ₹17,000 करोड़

स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश

🔍 अपनी किस्त की स्थिति कैसे जांचें?



किसान यह जानने के लिए कि उनके खाते में राशि आई है या नहीं, निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं:

1. वेबसाइट खोलें: https://pmkisan.gov.in


2. “Beneficiary Status” पर क्लिक करें।


3. अपना मोबाइल नंबर, आधार नंबर या बैंक खाता नंबर दर्ज करें।


4. “Get Data” पर क्लिक करें।


5. स्क्रीन पर आपकी किस्त की पूरी जानकारी दिखाई देगी।

🧾 किन किसानों को मिलेगा लाभ?



PM Kisan योजना का लाभ उन्हीं किसानों को दिया जाता है जो इन शर्तों को पूरा करते हैं:

उनके पास भूमि का वैध दस्तावेज होना चाहिए।

कोई भी इनकम टैक्सदाता किसान इस योजना के पात्र नहीं हैं।

परिवार में सरकारी नौकरी वाला सदस्य होने पर योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

ई-केवाईसी (e-KYC) पूर्ण होना आवश्यक है।

📌 ई-केवाईसी है जरूरी



अगर आपने अभी तक अपना e-KYC पूरा नहीं किया है, तो आपको किस्त नहीं मिलेगी। इसे आप निम्न माध्यमों से करा सकते हैं:

आधिकारिक पोर्टल पर जाकर OTP के माध्यम से।

नजदीकी CSC केंद्र पर जाकर बायोमेट्रिक सत्यापन द्वारा।

🛠 ज़रूरी दस्तावेज़:



आधार कार्ड

भूमि रिकॉर्ड/खसरा नंबर

बैंक खाता विवरण

मोबाइल नंबर (आधार से लिंक हो)

📞 सहायता के लिए कहां संपर्क करें?



अगर आपकी किस्त नहीं आई है या कोई अन्य समस्या है, तो आप निम्न माध्यमों से संपर्क कर सकते हैं:

PM Kisan हेल्पलाइन: 155261 / 011-24300606

ईमेल: pmkisan-ict@gov.in

स्थानीय कृषि विभाग कार्यालय से भी जानकारी ली जा सकती है।

🌿 निष्कर्ष



PM-KISAN योजना भारत सरकार की सबसे सफल और किसान हितैषी योजनाओं में से एक बन चुकी है। इस योजना से हर साल करोड़ों किसानों को आर्थिक सहारा मिलता है, जिससे वे अपने कृषि कार्यों को बेहतर बना सकते हैं। 20वीं किस्त का जारी होना इस बात का प्रमाण है कि सरकार किसानों की भलाई को सर्वोपरि मानती है।

विक्रांत मैसी ने शाहरुख को दी टक्कर! 71वें National awards 2025 में जीत का मुकाबला हुआ जबरदस्त!

विक्रांत मैसी ने शाहरुख को दी टक्कर! 71वें National awards 2025 में जीत का मुकाबला हुआ जबरदस्त!

71वें National awards 2025 की घोषणा हो चुकी है। जानिए किसे मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, अभिनेत्री और सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का सम्मान।


भारतीय सिनेमा के इतिहास में 1 अगस्त 2025 एक यादगार दिन बन गया, जब 71वें National awards 2025 के विजेताओं की घोषणा नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक औपचारिक प्रेस वार्ता के माध्यम से की गई।

इससे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार जूरी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन को सौंपी। इसके बाद जूरी सदस्यों ने विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं के नाम सार्वजनिक किए।

National awards 2025 के प्रमुख पुरस्कार 🏆 विजेता


🔹 सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (संयुक्त रूप से):
शाहरुख खान – “जवान”
विक्रांत मैसी – “12th फेल”
इन दोनों ने अपने प्रभावशाली और संवेदनशील प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया। शाहरुख खान को उनके 33 वर्षों के फिल्मी करियर में यह पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है, जबकि विक्रांत की भूमिका प्रेरणा और यथार्थ का सशक्त उदाहरण रही।

🔹 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री:
रानी मुखर्जी – “मिसेज चैटर्जी वर्सेज नॉर्वे”
एक माँ की कानूनी और भावनात्मक लड़ाई को बखूबी पर्दे पर लाकर रानी ने अपनी अदाकारी का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

🔹 सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म:
“12th फेल”
विक्रमादित्य मोटवाने के निर्देशन में बनी यह फिल्म संघर्ष, मेहनत और शिक्षा के महत्व को संवेदनशील तरीके से दर्शाती है।

🔹 सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म:
“कटहल: अ जैकफ्रूट मिस्ट्री”
यह एक व्यंग्यात्मक सामाजिक कहानी है, जिसने दर्शकों को हास्य और संवेदना दोनों से जोड़ा।

🔹 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म (सार्थक मनोरंजन के लिए):
“रॉकी और रानी की प्रेम कहानी”
करण जौहर के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने पारिवारिक भावनाओं और आधुनिक प्रेम की सुंदर झलक पेश की।

🌟 अन्य प्रमुख विजेता


🔸 सर्वश्रेष्ठ निर्देशन:
(इस श्रेणी में विजेता की पुष्टि नहीं है, अपडेट होने पर जोड़ा जा सकता है।)

🔸 सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री:
जानकी बोदीवाला – “वश” (गुजराती फिल्म)

🔸 सर्वश्रेष्ठ गुजराती फिल्म:
“वश”

🔸 सर्वश्रेष्ठ तेलुगु फीचर फिल्म:
“भगवंत केसरी”

🔸 तकनीकी श्रेणियों में सम्मानित फिल्में:
“सैम बहादुर” को 3 पुरस्कार मिले, वहीं “द केरला स्टोरी” ने 2 पुरस्कार जीते।

🎬 विविधता और क्षेत्रीय सिनेमा का जलवा


राष्ट्रीय पुरस्कारों की खास बात यह है कि ये केवल मुख्यधारा (बॉलीवुड) तक सीमित नहीं रहते, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं के सिनेमा को भी सम्मानित करते हैं। इस वर्ष गुजराती, तेलुगु, मलयालम और अन्य भाषाओं की फिल्मों को भी प्रमुख स्थान मिला है।

गुजराती फिल्म “वश” और तेलुगु फिल्म “भगवंत केसरी” ने उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए विशेष मान्यता प्राप्त की। इन फिल्मों ने यह साबित किया कि भारतीय सिनेमा की आत्मा क्षेत्रीय कथाओं में भी जीवित है।

📣 सरकार की सराहना और समर्थन


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय सिनेमा न केवल देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को दर्शाने में सफल हो रहा है।

राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने जूरी के निष्पक्ष फैसलों की सराहना की और सभी कलाकारों और तकनीशियनों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

💬 निष्कर्ष


71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2025 ने यह दर्शाया कि भारतीय सिनेमा विविधता, गुणवत्ता और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है।
शाहरुख खान, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी जैसे कलाकारों का सम्मान केवल उनके लिए नहीं, बल्कि प्रेरणा के नए अध्याय की शुरुआत है।

इन पुरस्कारों ने यह भी साबित किया कि अच्छे सिनेमा की कोई भाषा नहीं होती — बस एक सच्ची कहानी और उसका सशक्त प्रस्तुतिकरण होता है।

दक्षिण कन्नड़ का रहस्य: धर्मस्थल में नरकंकाल की थैली के साथ लौटा पूर्व सफाईकर्मी, खोले 20 साल पुराने दर्दनाक राज़!

दक्षिण कन्नड़ का रहस्य: धर्मस्थल में नरकंकाल की थैली के साथ लौटा पूर्व सफाईकर्मी, खोले 20 साल पुराने दर्दनाक राज़!


कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के धर्मस्थल में एक पूर्व सफाईकर्मी ने रेप और मर्डर पीड़ितों के शवों को जलाने व दफनाने का चौंकाने वाला खुलासा किया। 1995 से 2014 के बीच दबे थे ये खौफनाक राज़।

धर्मस्थल की शांति के पीछे छिपा भयानक अतीत


कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के धर्मस्थल में बीते दिनों जो खुलासा हुआ, उसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। एक बुजुर्ग पूर्व सफाईकर्मी ने अपने पास मौजूद नरकंकाल की थैली के साथ सामने आकर एक ऐसा सच बताया, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप उठे।

वह व्यक्ति नेत्रावती नदी के किनारों की सफाई करता था। उसके अनुसार, उसे वर्षों पहले कई महिलाओं और स्कूली लड़कियों की लाशों को ठिकाने लगाने के लिए मजबूर किया गया था—ये महिलाएं यौन उत्पीड़न और हत्या की शिकार थीं। अब वर्षों की आत्मग्लानि के बाद, वह व्यक्ति न्याय और सच्चाई की तलाश में लौटा है।

अपराधों का साक्षी बना सफाईकर्मी


उस व्यक्ति का दावा है कि 1995 से लेकर 2014 तक, उसे बार-बार ऐसे शवों को जलाने और दफनाने के लिए कहा गया, जिनकी हत्या और यौन उत्पीड़न किया गया था। उसका कहना है कि वह इस काम को जबरदस्ती और धमकियों के डर से करता रहा। उसने बताया कि इन घटनाओं के पीछे कुछ प्रभावशाली लोग और अधिकारी थे, जिनके डर से वह अब तक चुप रहा।

11 साल की चुप्पी और डर की ज़िंदगी


2014 के बाद से वह आदमी फरार रहा। उत्तर भारत, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अपना नाम और पहचान बदलकर रहा। हर दिन उसे डर था कि अगर उसने जुबान खोली तो उसकी जान भी ले ली जाएगी। लेकिन बीते कुछ सालों में, अपनी आत्मा पर पड़े अपराधों के बोझ ने उसे अंदर से तोड़ दिया।

अब वह खुद को हल्का करना चाहता है—और न्याय की उम्मीद में, सामने आकर सच बताने का निर्णय लिया है।

नेत्रावती नदी की चुप्पी टूटी


वह बताता है कि इन शवों को या तो नेत्रावती नदी के किनारे जलाया जाता था या फिर गुपचुप तरीके से दफनाया जाता था। यह नदी, जो हमेशा श्रद्धा और पवित्रता की प्रतीक मानी जाती है, अब इन डरावने खुलासों के चलते एक रहस्य बन गई है।

जांच की उठी मांग, खुदाई की संभावना


इस सनसनीखेज बयान के बाद, मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि मामले की स्वतंत्र जांच हो और नेत्रावती नदी के किनारों की खुदाई की जाए। वे चाहते हैं कि 1995 से 2014 के बीच गुमशुदा महिलाओं और लड़कियों की रिपोर्ट्स दोबारा खंगाली जाएं।

स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई शुरू


पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उस व्यक्ति से विस्तृत पूछताछ की जा रही है। यदि जांच में उसके बयान सही पाए जाते हैं, तो यह मामला कर्नाटक के इतिहास में सबसे बड़े आपराधिक खुलासों में शामिल हो सकता है।

सवाल व्यवस्था पर


यह मामला केवल अपराध का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल उठाता है। क्या इतने वर्षों तक इतने गंभीर अपराध होते रहे और किसी ने आवाज नहीं उठाई? क्या वाकई समाज और व्यवस्था ने इन पीड़ितों को अकेला छोड़ दिया?

निष्कर्ष:

अब चुप रहना मुमकिन नहीं! पूर्व सफाईकर्मी ने अपनी गलती स्वीकार की है और अब वह पश्चाताप के साथ सच्चाई को सामने लाने में जुटा है। अब बारी हमारी है—कि हम इस मामले को केवल सनसनीखेज खबर बनाकर न छोड़ें, बल्कि सच की तह तक जाकर उन मासूमों को न्याय दिलाएं जिनकी आवाज कभी नहीं सुनी गई।