
गन्ने के रस से बनेगा बायोफ्यूल: छात्र कनक तलवारे की खोज को मिला सरकारी पेटेंट
हरित ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम
कनक तलवारे, जो कि एमजीएम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज (JNEC) में केमिकल इंजीनियरिंग की छात्र हैं, ने गन्ने के रस से बायोएथेनॉल बनाने की एक नवीन प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि भारत को पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों से मुक्ति दिलाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस खोज को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है, जो कनक के शोध कार्य को आधिकारिक मान्यता देता है।
नवाचार की शुरुआत
कनक तलवारे को यह विचार तब आया जब उन्होंने देखा कि देश में पेट्रोल और डीज़ल जैसे जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भरता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने सोचा कि यदि कोई ऐसा विकल्प खोजा जाए, जो नवीकरणीय हो और प्रदूषण न फैलाए, तो वह ऊर्जा संकट को हल कर सकता है। गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में भारत की मजबूती को देखते हुए उन्होंने गन्ने के रस से ईंधन बनाने की दिशा में शोध कार्य शुरू किया।
क्या है बायोएथेनॉल?
बायोएथेनॉल एक जैविक ईंधन है जो गन्ने, मक्का या अन्य कृषि उत्पादों से प्राप्त किया जाता है। यह पेट्रोल का एक टिकाऊ विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह जलने पर कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है। बायोएथेनॉल का उपयोग वाहनों में पेट्रोल के साथ मिश्रण के रूप में किया जा सकता है।
कनक की प्रणाली की विशेषता
कनक द्वारा तैयार की गई प्रणाली में गन्ने के रस से कम लागत में और कम ऊर्जा खपत के साथ उच्च गुणवत्ता वाला बायोएथेनॉल तैयार किया जा सकता है। इस तकनीक को छोटे पैमाने पर भी लागू किया जा सकता है, जिससे ग्रामीण इलाकों और किसानों को इसका लाभ मिल सकता है। इससे न केवल अपशिष्ट सामग्री का सदुपयोग होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत भी मिलेगा।
पेटेंट मिलने का महत्व
भारत सरकार की ओर से कनक की इस प्रणाली को पेटेंट मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। इसका मतलब यह है कि अब इस तकनीक का बौद्धिक अधिकार उनके पास सुरक्षित है। इससे न केवल उन्हें भविष्य में शोध और व्यावसायिक विकास में मदद मिलेगी, बल्कि यह देश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी सहायक होगी।
निष्कर्ष
कनक तलवारे की यह सफलता यह दर्शाती है कि युवा पीढ़ी नवाचार के ज़रिए पर्यावरण और ऊर्जा की बड़ी चुनौतियों का समाधान निकाल सकती है। उनके इस प्रयास से न केवल स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह भारत को आत्मनिर्भर और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार राष्ट्र बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।
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