
भारत की टेक्नोलॉजी राजधानी कहे जाने वाले बेंगलुरु में एक हैरान करने वाला ट्रेंड सामने आया है। कई दुकानदारों और व्यापारियों ने सोशल मीडिया पर “No UPI, Only Cash” वाली पोस्ट की हैं जो कि बहुत वायरल हो रही हैं।
कई दुकानदार अब UPI या किसी भी डिजिटल भुगतान को स्वीकार नहीं कर रहे हैं और ग्राहकों से केवल नकद लेन-देन की मांग कर रहे हैं। इस फैसले से शहर के डिजिटल-फ्रेंडली उपभोक्ताओं को काफी असुविधा हो रही है।
आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?
इस बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं जो छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान से दूर कर रहे हैं:
1. UPI पर बढ़ती अप्रत्यक्ष लागतें
हालांकि ग्राहकों के लिए UPI ट्रांजैक्शन मुफ्त हैं, लेकिन व्यापारियों को कुछ मामलों में पेमेंट गेटवे चार्ज, सेटलमेंट डिले, या लिमिटेड सर्विसेस का सामना करना पड़ता है। छोटे दुकानदारों का कहना है कि उन्हें भुगतान की पूरी राशि नहीं मिलती या उसमें देरी होती है।
2. टैक्स और कानूनी जटिलताएं
डिजिटल भुगतान से लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड बन जाता है, जिससे टैक्स विभाग की नजर में आना तय है। कई छोटे दुकानदार जो अब तक नकद में व्यापार कर टैक्स से बचते थे, अब डिजिटल भुगतान से अतिरिक्त कर बोझ और कॉम्प्लायंस का डर महसूस कर रहे हैं।
3. तकनीकी खराबियां और नेटवर्क समस्याएं
UPI आधारित भुगतान में कभी-कभी सर्वर फेलियर, नेटवर्क की समस्या, या लेन-देन की देरी भी आम हो गई है। दुकानदारों का कहना है कि ट्रांजैक्शन फेल होने पर ग्राहक असंतुष्ट हो जाते हैं और उन्हें नुकसान होता है।
4. नकद में तरलता (Liquidity) बेहतर
छोटे व्यापारी दिन-प्रतिदिन की खरीदारी, सप्लायर का भुगतान और अन्य खर्चों के लिए तुरंत नकद उपलब्धता को प्राथमिकता देते हैं। डिजिटल ट्रांजैक्शन की प्रक्रिया में समय लगता है, जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है।
ग्राहकों की प्रतिक्रिया
युवा पीढ़ी और डिजिटल लेन-देन की आदती ग्राहक इस चलन से नाराज़ हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसे बोर्ड की तस्वीरें साझा की हैं, जिन पर लिखा है, “No UPI, Only Cash”। कुछ ग्राहक नकद लेकर आ रहे हैं, जबकि कुछ दुकानों से खरीदारी बंद कर चुके हैं।
शहर में आने वाले पर्यटक और नए लोग इस स्थिति से और भी अधिक असमंजस में हैं, क्योंकि भारत के बाकी हिस्सों में डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाया जा रहा है।
सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को चुनौती
सरकार UPI और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने में अग्रणी रही है। भारत आज दुनिया में सबसे ज़्यादा रियल टाइम डिजिटल ट्रांजैक्शन करने वाला देश बन चुका है। फिर भी, बेंगलुरु जैसे शहर में ये रुझान दिखाता है कि जमीनी स्तर पर अब भी समस्याएं बरकरार हैं।
आगे का रास्ता
जब तक सरकार व्यापारी वर्ग की चिंताओं को गंभीरता से नहीं लेती — जैसे कि चार्जेस में कटौती, टैक्स में छूट, या सिस्टम को ज्यादा भरोसेमंद बनाना — तब तक नकद लेन-देन की ओर वापसी जारी रह सकती है।
फिलहाल, यदि आप बेंगलुरु में हैं, तो यह सुझाव दिया जा सकता है कि अपने वॉलेट में कुछ नकद ज़रूर रखें — क्योंकि हर दुकान डिजिटल नहीं है।
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