नीति विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री डॉ. राधिका पांडेय का निधन, शैक्षणिक जगत में शोक की लहर।


देश की जानी-मानी अर्थशास्त्री, लेखिका और सार्वजनिक नीति शोधकर्ता डॉ. राधिका पांडेय का निधन शनिवार को नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलियरी साइंसेज (ILBS) में हो गया। हाल ही में उनकी आपातकालीन लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य में सुधार न होने के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके असामयिक निधन से नीति निर्माण, आर्थिक शोध और शिक्षा जगत में गहरा शोक छा गया है।

डॉ. राधिका पांडेय वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) में सह-प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। वह एक वरिष्ठ मैक्रोइकोनॉमिक्स विशेषज्ञ थीं और उनका अनुभव सार्वजनिक नीति, मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों, वित्तीय विनियमन, और मुद्रास्फीति जैसे जटिल विषयों पर दो दशकों से अधिक का रहा है।

उनका अकादमिक और व्यावसायिक जीवन शोध, लेखन और शिक्षण के इर्द-गिर्द घूमता रहा। उन्होंने अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और तथ्य-आधारित लेखों के माध्यम से भारत की आर्थिक नीतियों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचार अखबारों, नीति मंचों और रिसर्च जर्नल्स में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं। उनकी लेखनी में गहराई, संतुलन और देश की आर्थिक चुनौतियों को लेकर ठोस समझ स्पष्ट झलकती थी।

अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण शोध रिपोर्ट्स तैयार कीं, जो सरकारों और नीति-निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक साबित हुईं। वे केवल एक अर्थशास्त्री नहीं, बल्कि एक ऐसा नाम थीं जो आर्थिक सोच को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने में विश्वास रखती थीं।

NIPFP से पहले डॉ. पांडेय ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU), जोधपुर में बतौर प्रवक्ता भी कार्य किया था। वहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र और कानून के आपसी संबंधों पर फोकस किया और छात्रों को बहुआयामी दृष्टिकोण से शिक्षित किया। उनके विद्यार्थियों और सहकर्मियों के बीच वे एक प्रेरणास्रोत के रूप में जानी जाती थीं।

उनका आकस्मिक निधन न केवल शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में, बल्कि देश की आर्थिक नीतियों के विकास में भी एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विद्वता, सरलता और गंभीर विश्लेषण क्षमता ने उन्हें विशेष स्थान दिलाया था। वे एक ऐसी विचारक थीं, जो जटिल विषयों को सहज भाषा में प्रस्तुत करने की कला रखती थीं।

डॉ. राधिका पांडेय का जाना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण सोच की क्षति है। उनके विचार, शोध और लेखनी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। उन्हें उनके योगदान, प्रतिबद्धता और विद्वता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

उनकी स्मृति में शैक्षणिक और नीति संस्थानों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई, और उन्हें एक सक्षम शिक्षिका, संवेदनशील शोधकर्ता और प्रभावशाली विचारक के रूप में याद किया गया।

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