
धार (मध्य प्रदेश):
जब पूरे देश में श्रद्धालु नागपंचमी के पर्व पर नागदेवता की पूजा-अर्चना में व्यस्त थे, उसी समय धार जिले में एक सराहनीय कदम उठाया गया। वन विभाग और पीपुल फॉर एनिमल्स (PFA) धार इकाई की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए 33 सांपों को बरामद कर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया। यह मिशन सरस्वती नगर और प्रकाश नगर क्षेत्रों में चलाया गया, जहां नागपंचमी के मौके पर सांपों को बंदी बनाकर रखा गया था।
🌿 जब भक्ति बनी संरक्षण की मिसाल
भारत में नागपंचमी एक श्रद्धा और आस्था का पर्व है, जहां नागों की पूजा कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। परंतु, इसी आस्था के नाम पर अक्सर सांपों के साथ क्रूरता भी होती है। कई लोग उन्हें पकड़कर तंग जगहों में रखते हैं, दूध पिलाने की कोशिश करते हैं, या फिर भीड़ में दिखाने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं, जो कि न केवल अनुचित है बल्कि कानून के खिलाफ भी है।
धार में हुई यह पहल इस बात की मिसाल है कि भक्ति के साथ-साथ जीवों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा सकती है।
🐍 ऑपरेशन की पूरी कहानी
वन विभाग और पीएफए टीम को सूचना मिली कि कुछ इलाकों में नागपंचमी पर सांपों को पकड़ कर उन्हें पूजा और प्रदर्शन के लिए रखा गया है। इस पर कार्रवाई करते हुए टीम ने सरस्वती नगर और प्रकाश नगर में छापा मारा। जांच में पाया गया कि कुल 33 सांप, जिनमें कई विषैले और गैर-विषैले प्रजातियां थीं, बेहद खराब हालात में रखे गए थे। कुछ सांपों को प्लास्टिक की थैलियों और डिब्बों में बंद करके रखा गया था।
टीम ने तुरंत सभी सांपों को सुरक्षित निकाला और स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया।
⚖️ कानून क्या कहता है?
भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किसी भी वन्य प्राणी को पकड़ना, रखना, या प्रदर्शन करना अपराध की श्रेणी में आता है। नागपंचमी जैसे त्योहारों पर अक्सर इस कानून की अनदेखी की जाती है, परंतु यह स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और इसके लिए जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं।
इस मामले में संदिग्ध लोगों की पहचान कर ली गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
🌍 पीपुल फॉर एनिमल्स (PFA) की अहम भूमिका
पीपुल फॉर एनिमल्स, जो कि पशु कल्याण के लिए काम करने वाली एक राष्ट्रीय संस्था है, उसकी धार यूनिट ने इस बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। न केवल उन्होंने सांपों को पहचानने में मदद की, बल्कि सुरक्षित तरीके से उन्हें पकड़ने और प्राकृतिक स्थानों में छोड़ने की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया।
संस्था ने कई वर्षों से नागपंचमी जैसे अवसरों पर जनजागरूकता अभियान भी चलाए हैं, जिससे लोगों में यह समझ बढ़े कि सांपों के साथ क्रूरता न की जाए।
📣 समाज के लिए संदेश
इस कार्रवाई के ज़रिए समाज को एक स्पष्ट संदेश दिया गया है — श्रद्धा के नाम पर किसी भी जीव को कष्ट देना सही नहीं है। भगवान शिव के गले का आभूषण माने जाने वाले नाग को पूजना हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन उनका शोषण करना आस्था का अपमान है।
वन विभाग और पीएफए ने जनता से अपील की है कि अगर कहीं सांप दिखाई दे, तो खुद उसे पकड़ने की कोशिश न करें। इसके बजाय, वन विभाग या पशु संरक्षण संगठन से संपर्क करें ताकि सांप को सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित किया जा सके।
🔚 निष्कर्ष
धार में नागपंचमी के दिन हुआ यह बचाव अभियान न सिर्फ एक संवेदनशील प्रयास था, बल्कि एक प्रेरक उदाहरण भी है। धार्मिक परंपराओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना आज की आवश्यकता है।
ऐसे अभियानों से यह स्पष्ट होता है कि अगर समाज जागरूक हो जाए, तो भक्ति और प्रकृति संरक्षण एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।