
कन्नप्पा मूवी रिव्यू: श्रद्धा, भक्ति और भव्यता से सजी एक अद्भुत गाथा
रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)
विश्णु मांचू की बहुप्रतीक्षित पौराणिक फिल्म “कन्नप्पा” एक ऐसी कहानी लेकर आई है जो भक्ति, बलिदान और आस्था से जुड़ी है। निर्देशक मुकेश कुमार सिंह ने इस फिल्म के माध्यम से एक ऐसे योद्धा की यात्रा को जीवंत किया है, जो एक महान भक्त बनकर इतिहास में अमर हो जाता है।
कहानी और पटकथा
फिल्म की कहानी एक आदिवासी शिकारी की है, जो भगवान शिव का परम भक्त बन जाता है। यह यात्रा न केवल उसकी आत्मा का शुद्धिकरण है, बल्कि दर्शकों के लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव भी बन जाती है। पटकथा प्रभावशाली है और पूरी फिल्म में भक्ति की भावना गहराई से महसूस की जाती है।
अभिनय
विश्णु मांचू ने कन्नप्पा के किरदार में जान डाल दी है। एक उद्दंड योद्धा से एक समर्पित भक्त बनने की उनकी यात्रा को उन्होंने पूरी सच्चाई और गहराई से निभाया है। मोहन बाबू, प्रभास (विशेष भूमिका में), और काजल अग्रवाल जैसे सितारों की उपस्थिति फिल्म को और आकर्षक बनाती है, हालांकि इनकी भूमिकाएं सीमित हैं।
निर्देशन और दृश्यांकन
मुकेश कुमार सिंह ने पौराणिक कथानक को सम्मान के साथ प्रस्तुत किया है। फिल्म की भव्य लोकेशंस, उत्कृष्ट वीएफएक्स और प्रामाणिक पोशाकें इसे एक भव्य पौराणिक फिल्म का रूप देती हैं। युद्ध दृश्यों और दिव्य घटनाओं को खास कलात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
मणि शर्मा का संगीत फिल्म की आत्मा है। विशेष रूप से भक्ति गीत दर्शकों के मन को छू जाते हैं और फिल्म के बाद भी स्मृति में बने रहते हैं। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के हर भाव को उभारता है।
निष्कर्ष
“कन्नप्पा” केवल एक पौराणिक फिल्म नहीं है, यह आस्था, परिवर्तन और भक्ति की अद्वितीय कथा है। शानदार अभिनय, मनमोहक दृश्य और हृदयस्पर्शी कहानी इसे एक यादगार सिनेमाई अनुभव बनाते हैं। हालांकि दूसरी छमाही में गति थोड़ी धीमी लग सकती है, फिर भी फिल्म अंत तक बांधे रखती है।
अंतिम बात: अगर आप भारतीय पौराणिक कहानियों और भक्ति से जुड़ी फिल्मों के शौकीन हैं, तो कन्नप्पा को ज़रूर देखें। यह फिल्म आपके मन और आत्मा दोनों को छू जाएगी।